Gorakhpur-Siliguri Expressway (गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे) : भारत में सड़क निर्माण के क्षेत्र में एक और बड़ी क्रांति आने वाली है। गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनने वाले इस एक्सप्रेसवे से उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों को जबरदस्त फायदा होगा। 32,000 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला यह एक्सप्रेसवे न केवल सफर को आसान बनाएगा, बल्कि इन राज्यों के आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा। आइए, इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है Gorakhpur-Siliguri Expressway ?
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे एक हाई-स्पीड सड़क मार्ग होगा, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक फैला होगा। इस प्रोजेक्ट का मकसद इन दोनों राज्यों के बीच सीधा और तेज़ यातायात उपलब्ध कराना है, जिससे लोगों को कम समय में यात्रा करने की सुविधा मिलेगी।
एक्सप्रेसवे की प्रमुख विशेषताएँ:
- लंबाई: लगभग 520 किलोमीटर
- लागत: 32,000 करोड़ रुपए
- राज्य: उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल
- लेन: 6-लेन हाईवे (भविष्य में 8-लेन तक विस्तार की संभावना)
- संभावित समय सीमा: 2028 तक पूरा होने की उम्मीद
- स्पीड लिमिट: 120 किमी/घंटा तक
इस एक्सप्रेसवे के बनने से जहां व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, वहीं आम जनता को भी यात्रा में बेहतरीन सुविधा मिलेगी।
किन जिलों को होगा सबसे ज्यादा फायदा?
यह एक्सप्रेसवे जिन-जिन जिलों से होकर गुजरेगा, वहां की अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं, कौन-कौन से जिले इससे लाभान्वित होंगे:
राज्य | प्रमुख लाभान्वित जिले |
---|---|
उत्तर प्रदेश | गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया |
बिहार | पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, किशनगंज |
पश्चिम बंगाल | दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी |
इन जिलों में नए बिजनेस सेंटर, लॉजिस्टिक्स हब और औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने की संभावनाएँ बढ़ जाएंगी।
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व्यापार और उद्योग को कैसे मिलेगा बढ़ावा?
इस एक्सप्रेसवे से सबसे ज्यादा फायदा व्यापार और उद्योग को होगा। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच व्यापारिक गतिविधियाँ तेज होंगी, जिससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
- कृषि उत्पादों की तेजी से आपूर्ति – उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान अपने उत्पादों को सीधे पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों तक आसानी से पहुंचा पाएंगे।
- टूरिज्म सेक्टर को बढ़ावा – सिलीगुड़ी पूर्वोत्तर भारत का प्रवेशद्वार है, जिससे सिक्किम और दार्जिलिंग जाने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
- इंडस्ट्रियल ग्रोथ – इस एक्सप्रेसवे के किनारे नए इंडस्ट्रियल पार्क और वेयरहाउस बनाए जाएंगे, जिससे व्यापारिक संभावनाएँ बढ़ेंगी।
आम जनता को क्या फायदा मिलेगा?
यह एक्सप्रेसवे सिर्फ व्यापारियों के लिए ही नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी कई मायनों में फायदेमंद होगा।
- यात्रा का समय होगा कम – पहले जहां गोरखपुर से सिलीगुड़ी जाने में 12-14 घंटे लगते थे, वहीं इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद यह समय घटकर 6-7 घंटे रह जाएगा।
- सड़क हादसे होंगे कम – हाई-लेवल कंस्ट्रक्शन और नई तकनीकों से बनी यह सड़क सुरक्षित होगी, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
- रोजगार के नए अवसर – निर्माण कार्य के दौरान हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा, और एक्सप्रेसवे बनने के बाद भी होटल, पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट जैसे नए बिजनेस विकसित होंगे।
एक उदाहरण से समझें
राजेश, जो गोरखपुर में एक छोटे बिजनेस मैन हैं, उन्हें अक्सर पश्चिम बंगाल से कच्चा माल लाना पड़ता है। पहले उन्हें खराब सड़क और लंबी यात्रा के कारण समय और पैसे दोनों की हानि होती थी। लेकिन इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद वह कम समय में, कम लागत पर अपना माल ला पाएंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा।
सरकार की योजनाएँ और फंडिंग
सरकार इस प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है।
- PPP मॉडल – सरकार और निजी कंपनियों के सहयोग से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है।
- ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट – इस एक्सप्रेसवे को पूरी तरह से नई तकनीकों के साथ तैयार किया जा रहा है।
- बजट आवंटन – केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 32,000 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लाखों लोगों के लिए एक वरदान साबित होगा। इससे न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि व्यापार, उद्योग और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इस तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट भारत के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं और लोगों की जिंदगी को आसान बनाते हैं। अब देखना यह है कि यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट कब तक पूरा होता है और लोगों को इसका वास्तविक लाभ कब मिलना शुरू होता है।